सुपनै आइआ भी गइआ मै जलु भरिआ रोइ ।।
आइ न सका तुझ कनि पिआरे भेजि न सका कोइ ।।
आउ सभागी नीदड़ीए मतु सहु देखा सोइ ।।
मोरी रुण झुण लाइया भैणे सावणु आइआ ।।
तेरे मुंध कटारे जेवडा तिनि लोभी लोभ लुभाइआ ।।
तेरे दरसन विटहु खन्नीऐ वंजा तेरे नाम विटहु कुरबाणो ।।
जा तू ता मै माणु कीआ है तुधु बिनु केहा मेरा माणो ।।
चूड़ा भन्नु पलम्घ सिउ मुंधे सणु बाही सणु बाहा ।।
एते वेस करेदीए मुंधे सहु रातो अवराहा ।।
ना मनीआरु न चुड़ीआ ना से वंगुड़ीआहा ।।
जो सह कंठि न लगीआ जलनु सि बाहड़ीआहा ।।
सभि सहीआ सहु रावणि गइआ हउ दाधी कै दरि जावा ।।
अंमाली हउ खरी सुचजी तै सह एकि न भावा ।।
माठि गुंदांई पटीआ भरीए माग संधूरे ।।
अगै गई न मन्नीआ मरउ विसूरि विसूरे ।।
मै रोवंदी सभु जगु रुना रुन्नड़े वणहु पंखेरू।।
इकु न रुना मेरे तन का बिरहा जिनि हउ पिरहु विछोड़ी ।।
तै साहिब की बात जि आखै कहु नानक किआ दीजै ।।
सीसु वढे करि बैसणु दीजै विणु सिर सेव करीजै ।।
किउ न मरीजै जीअड़ा न दीजै जा सहु भइआ विडाणा ।।