करो बेन्नती सुणहु मेरे मीता संत टहल की बेला।।
ईहा खाटि चलहु हरि लाहा आगै बसनु सुहेला ।। 1 ।।
अउध घटै दिनसु रैणारे ।।
मन गुर मिलि काज सवारे ।। 1 ।। रहाउ ।।
इहु संसारु बिकारु संसे महि तरिओ ब्रहम गिआनी ।।
जिसहि जगाइ पिआवै इहु रसु अकथ कथा तिनि जानी ।। 2 ।।
जा कउ आए सोई बिहाझहु हरि गुर ते मनहि बसेरा ।।
निज घरि महलु पावहु सुख सहजे बहुरि न होइगो फेरा ।। 3 ।।
अंतरजामी पुरख बिधाते सरधा मन की पूरे ।।
नानक दासु इहै सुखु मागै मो कउ करि संतन की धूरे ।। 4 ।।