Patanjal Yog Sutra - Yog Ka Vilakshan Vigyan 

Scriptures

Language: Hindi  

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Patanjal Yog Sutra - Yog Ka Vilakshan Vigyan 

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About the book

योग शिरोमणि ऋषि पतञ्जलि ने योग सम्बन्धी वह ज्ञान जो अलग-अलग स्थानों पर था, उन सब सूत्रों को एकत्रित कर के ‘पातञ्जल योग सूत्र’ ग्रन्थ के रूप में संकलित किया। चार पादों में विभक्त, 196 सूत्रों का यह अनुपम संग्रह चित्त की विभिन्न अवस्थाओं, चित्त की क्लिष्ट-अक्लिष्ट वृत्तियों, विभिन्न प्रमाणों, दृश्य का स्वरूप, द्रष्टा का स्वरूप, अभ्यास, वैराग्य, समाधि आदि का यथार्थ एवं वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इतने तक ही सीमित न रहकर यह ग्रन्थ योग की श्रेष्ठतम अवस्था निर्विकल्प समाधि तक पहुँचने के लिए एक सुन्दर प्रारूप भी निरूपित करता है कि कैसे अभ्यास और वैराग्य की दृढ़भूमि पर यम, नियम, आसन, प्राणायाम आदि साधन रूपी बीज से समाधि रूपी पुष्प पल्लवित हो सकता है। इन साधनों की पूर्णता होने पर प्राप्त होने वाली आलौकिक विभूतियों की महिमा को भी वर्णित करता है। ‘योगी भव’ यह किसी महात्मा या योगी का दिया हुआ मात्र एक शुभाशीष नहीं है, यह जन्मों-जन्मों से अन्तःकरण में पड़े क्लेशों से निवृत्ति का संकल्प है। अष्ट अंगों से अलङ्कृत यह योगमार्ग विषय-वासनाओं के कुचक्र से निकालकर साधक को निर्विकल्प, निर्बीज समाधि के पद पर सुशोभित कर देता है। कहाँ तो स्वयं को क्षुद्र जीव मान रहे थे, और कहाँ योगमार्ग जीवत्व से उठाकर कैवल्य पद में प्रतिष्ठित कर देता है! ज्ञाननिष्ठ आनन्दमूर्ति गुरुमाँ एक समकालीन, जाग्रत योगी हैं, जिन्होंने इस ग्रन्थ के संहिताबद्ध सूत्रों में निहित गूढ़ रहस्यों को जनकल्याणार्थ उद्घाटित किया है। पूज्या गुरुमाँ द्वारा सरल व बोधगम्य शब्दों में प्रतिपादित ये सूत्र साधक को अष्ट पायदानों वाले योगमार्ग पर आरूढ़ होने के लिए प्रेरित करते हैं। यह संकलन परम पूज्या आनन्दमूर्ति गुरुमाँ द्वारा ‘पातञ्जल योग सूत्र’ पर दिए गए प्रवचनों का अनुपम संग्रह है। अतः इन सूत्रों का अनुसरण करते हुए योग के इस पथ पर संकल्प से आगे बढ़ें।

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