Satguru
मन की मन ही माहि रही।। ना हरि भजे न तीरथ सेवे चोटी कालि गही।। दारा...
मोकउ तूं न बिसारि तू न बिसारि।। तू न बिसारे रामईआ।। आलावंती इहु भ्रमु जो है...
भिंनी रैनड़ीऐ चमकनि तारे।। जागहि संत जना मेरे राम पिआरे।। राम पिआरे सदा जागहि नामु सिमरहि...
बाबा बोलते ते कहा गए देही के संगि रहते।। सुरति माहि जो निरते करते कथा बारता...
पूरी आसा जी मनसा मेरे राम।। मोहि निरगुण जीउ सभि गुण तेरे राम।। सभि गुण तेरे...
निंदउ निंदउ मोकउ लोगु निंदउ।। निंदा जन कउ खरी पिआरी।। निंदा बापु निंदा महतारी।। निंदा होइ...
धुर की बाणी आई।। तिनि सगली चिंत मिटाई।। दइआल पुरख मिहरवाना।। हरि नानक साचु वखाना।। परमेसरि...
देह सिवा बर मोहि इहै सुभ करमन ते कबहूं न टरों।। न डरों अरि सो जब...
दीन दइआल भरोसे तेरे।। सभु परवारू चड़ाइआ बेड़े।। राम जपउ जीअ ऐसे ऐसे।। ध्रू प्रहिलाद जपिओ...
तोही मोही मोही तोही अंतरु कैसा।। कनक कटिक जल तंरग जैसा।। जउपै हम न पाप करंता...
जलि जाउ जीवनु नाम बिना।। हरि जपि जापु जपउ जपमाली गुरमुखि आवै सादु मना।। संता की...
जबै बाण लागियो।। तबै रोस जागियो।। करं लै कमाणं।। हनं बाण ताणं।। सबै बीर धाए।। सरोघं...