हरि बिन कौन सहाई मन का। मात पिता भाई सुत बनिता हित लागो सब फन का।...

साधो सहज समाधि भली। गुर परताप जा दिन से जागी दिन दिन अधिक चली। जहँ जहँ...

संतन के संग लाग री तेरी अच्छी बनेगी। होय तेरो बड़ो भाग री तेरी अच्छी बनेगी।...

रस गगन गुफा में अजर झरै। बिन बाजा झंकार बजै जहाँ समझ परै जब ध्यान धरै।...

माया महाठगिनी हम जानी निर्गुण फांस लिये डोले बोले मधुरी बाणी। केसव के कमला होइ बैठी...

महरम होए सो जाने साधो ऐसा देस हमारा। वेद कतेब पार नहीं पावत कहन सुनन ते...

मन तोहे किहि बिध मैं समझाऊँ। सोना होय तो सुहाग मंगाऊँ बंकनाल रस लाऊँ। ग्यान सबद...

मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हल्की थी जब चढ़ी तराजू पूरी भई तब क्यों तोले।...

मन लागो मेरो यार फकीरी में। जो सुख पावो राम भजन में वो सुख नाहीं अमीरी...

मन रे तू कर ले साहेब सों प्रीत। सरन आये सो सबहिं उबारे ऐसी उनकी रीत।...

भजो रे भैया राम गोविन्द हरी। जप तप साधन नहीं कछु लागत खरचत नहीं गठरी। सन्तत...

पी ले प्याला हो मतवाला प्याला प्रेम हरि रस का रे। बालपना सब खेल गंवाया तरूण...