आजु हमारै ग्रिहि बसंत, गुन गाए प्रभ तुम्ह बेअंत।।

1. गुरू सेवउ करि नमसकार।। आजु हमारै मंगलचार।।
आजु हमारै महा अनंद।। चिंत लथी भेटे गोबिंद।।

2. आजु हमारै बने फाग।। प्रभ संगी मिलि खेलन लाग।।
होली कीनी संत सेव।। रंगु लागा अति लाल देव।।

3. मनु तनु मउलिओ अति अनूप।। सकै नाही छाव धूप।।
सगली रुती हरिआ होइ।। सद बसंत गुर मिले देव।।

4. बिरखु जमिओ है पारजात।। फूल लगे फल रतन भांति।।
त्रिपति अघाने हरि गुणह गाइ।। जन नानक हरि हरि हरि धिआइ।।